हेलो दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम बात करने वाले है Compiler और Interpreter में क्या अंतर होता है?
Compiler क्या होता है?
- Compiler एक प्रोग्राम होता है जो कि एक सोर्स code को बाइनरी कोड में बदला देता है
- जिससे एक कंप्यूटर इस मशीन कोर्ट को समझ कर एक्सेक्यूटे कर देता है
- Compiler का इस्तेमाल executable फ़ाइल बनाने के लिए क्या जाता है
- कंपाइलर सोर्स कोड को ट्रांसलेट करके एक executable object file बनाता है
- जो की मशीन कोड होता है
- कंप्यूटर इस code को एक्सेक्यूटे कर सकता है
- एक बार कंपाइलर एक्सेक्यूटबले file बना देता है तो उसके बाद हमें कंपाइलर की जरूरत नहीं पड़ती
- हम कभी उस एक्सेक्यूटबले फाइल को रन कर सकते हैं!
Interpreter –
- Interpreter एक प्रोग्राम होता है जो कि हाई लेवल प्रोग्रामिंग लैंग्वेज को मशीन code या बायनरी code में ट्रांसलेट कर देता है
- Interpreter कभी भी कंपाइलर की तरह पूरे सोर्स कोड को मशीन लैंग्वेज में ट्रांसलेट नहीं कर सकता है
- Interpreter सोर्स कोर्ट के एक-एक इंटरेक्शन को मशीन code में ट्रांसलेट करता है और एक्सेक्यूटे करता है
- और यदि कोई error आती है पूरा सोर्स को ट्रांसलेट नहीं होता है
- Interpreter कभी भी कोई फाइल नहीं बनाता है
Compiler और Interpreter में क्या अंतर होता है?
- कंपाइलर एक प्रोग्राम है जिसका काम एक हाई लेवल लैंग्वेज से लिखे पूरे सोर्स code को मशीन कोर्ट में ट्रांसलेट करता है
- इंटरप्रेटर एक प्रोग्राम है जिसका काम एक हाई लेवल लैंग्वेज से लिखे सोर्स कोड को मशीन code में एक-एक करके ट्रांसलेट करता है
- कंपाइलर पूरे code को ट्रांसलेट करने के बाद सारे errors को एक साथ आखिर में बताता है
- इंटरप्रेटर एक-एक करके इंस्ट्रक्शंस को ट्रांसलेट करता है और अगर किसी लाइन में कोई error होती है तो उसे उसी समय दिखाता है और आगे नहीं बढ़ता जब तक वह ठीक ना हो जाए!
- कंपाइलर सोर्स कोड को मशीन code में ट्रांसलेट करने में कम समय और processing पावर कम लगती है
निष्कर्ष –
- दोस्तों उम्मीद करता हूं आज किस आर्टिकल में आपको Compiler और Interpreter के बारे में काफी कुछ जानने को मिला होगा!