जेनरिक और ब्रांडेड दवाइयां में अंतर? | jenerik pr branded dwai me kya antar hota hai?

हेलो दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम बात करने वाले है जेनरिक और ब्रांडेड दवाई में क्या अंतर होता है?

जेनरिक दवाइयां क्या होती है?

  • आमतौर पर सभी दवाइयां एक तरह का केमिकल्स सॉल्ट होती है इन्हें शोध के बाद अलग-अलग बीमारियों के लिए बनाया जाता है जेनेरिक दवाइयां आज जिस सॉल्ट  से बनी होती है उसी के नाम से जानी जाती है जैसे दर्द और बुखार में काम करने वाली पेरासिटामोल सॉल्ट  को कोई कंपनी इसी नाम से बेचे तो उसे जेनेरिक दवा कहेंगे
  • इसी तरह अगर किसी ब्रांड जैसे क्रोसिन  के नाम से बेचा जाता है तो यह कंपनी ब्रांडेड दवा कहलाती है

ब्रांडेड और जेनेरिक दवा में क्या अंतर होता है?

  • हर एक दवाई का एक ब्रांड नाम होता है जो दवा कंपनी द्वारा उस दवा की मार्केटिंग के लिए इस्तेमाल किया जाता है
  • इसी तरह से दवा का एक सामान्य नाम होता है जो दवा के एक्टिव इनग्रेडिएंट होते हैं
  • जो दवा को काम करने में मदद करता है
  • जब कोई दवा एक्टिव इनग्रेडिएंट के साथ पहली बार मार्केट में आती है तो यह कई सालों तक पेटेंट द्वारा सुरक्षित होती है
  • पेटेंट को कंपनी को दवा विकसित करने में खर्च करने वाले पैसे को वसूलने के लिए या इसे खरीदने के अधिकारियों के खरीदने के लिए पर्याप्त फायदा लेने के लिए डिजाइन किया गया है
  • जब तक दवा पेटेंट द्वारा कवर की जाती है दूसरी कंपनियां प्रोडक्ट एक्टिव इनग्रेडिएंट वाली दूसरी दवा मार्केट में नहीं भेज सकती है
  • ब्रांडेड और जेनेरिक दवा में अंतर शेप, साइज और रंग में हो सकता है
  • पैकेजिंग को लेकर ब्रांड जेनेरिक दवा अंतर होता है
  • ब्रांड और जेनेरिक दवा मंतर एंटी एक्टिव इनग्रेडिएंट में होता है जो दवा के उपचार प्रभाव में योगदान नहीं करते हैं
  • ब्रांड और जेनेरिक दवा की कीमत में भी अंतर होता है

 निष्कर्ष-

  • दोस्तों उम्मीद करता हूं आज किस आर्टिकल में आपको ब्रांडेड और जेनेरिक दवाइयों के बारे में काफी कुछ जानने को मिला होगा!

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