Essay on Postman – डाकिया पर निबंध
- डाकिया एक सरकारी कर्मचारी है वह एक आवश्यक और लाभदायक विभाग से संबंधित है
- लगभग सारे देश में अनेकों डाकघर है
- प्रत्येक डाकघर में अनेकों डाकिया कार्यरत है
- डाकियो की संख्या माह के कार्य पर निर्भर करती है
- एक डाकघर का क्षेत्र विभिन्न इलाकों में बटा होता है
- प्रत्येक इलाकों में एक डाकिया नियुक्त होता है
- प्रमुख रूप से डाकिए का कार्य पत्र, पार्सल, मनी ऑर्डर वितरित करना होता है
- वह इस कार्य के लिए एक दर से दूसरी दर जाता है
- यह सब उसे उस डाकघर से प्राप्त होते हैं जहां से वह जुड़ा होता है
- उस डाकखाने में पत्र, पार्सल तथा मनीआर्डर विभिन्न स्थानों से ट्रेन में बसों द्वारा लाए जाते है
- वहां जाकर उनकी क्षेत्र अनुसार छटाई की जाती है
- तब प्रत्येक डाकी को उसके इलाके के अनुसार डाक मिलती है
- जिसे वह अपने थैले में भरकर बांटने निकल पड़ता है
- यदि डाक अधिक होती है तो वह इसे दो थैलों में भरकर ले जाता है
- बड़े-बड़े शहरों में डाक खाने की बस दा क्यों कौन के इलाकों में भारी बारिश छोड़ देती है
- परंतु छोटे शहरों तथा कस्बों में डाकिया अपनी साइकिल पर या फिर पैदल ही डाक बांटते हैं
- डाकिया अपने कार्य पर अपनी खाकी वर्दी पहन कर जाता है
- वह अपने कार्य को बड़ी छुट्टी से पूरा करता है वह अपने सिर पर एक लाल पट्टी वाली टोपी भी पहनता है
- डाक या अपने कार्य के लिए सवेरे निकल पड़ता है तथा देर रात तक घर लौटता है
- वह लगभग दिन में दो बार डाक बैठता है उसे रविवार को ही छुट्टी मिलती है
- गांव में टांके का काम बहुत कठिन होता है
- क्योंकि उसे गर्मी व बरसात में एक गांव से दूसरे गांव तक जाना पड़ता है
- रास्ते में उसे असामाजिक तत्वों का भी सामना करना पड़ सकता है
- इसके बावजूद डाके के काम को देखते हुए उसका वेतन बहुत कम होता है
- उसके काम का बहुत महत्व है सारे व्यापारिक लेन-देन का भार डाकिए के कंधों पर भी याद है
- सरकार को चाहिए भार को कम करते हुए उसके वेतन में वृद्धि करें ताकि वह कर्तव्य का पालन करें!